फिर वही बात

फिर  वही पन्ने दोहरा रहा हूँ 

जहाँ से था चला वापिस वहीं आ रहा हूँ 

मेरे गुनाहों की फेहरिस्त है बहुत लम्बी 

इनके बोझ तले दबा जा रहा हूँ 


जाने किस बात की है जल्दी

जाने कैसी है छटपटाहट 

के तुम मिलो इसी मोड़ पर, अभी 

क्या है ये तुम्हारे कदमो की आहट 


जल्दी इस बात की है कि ये घाव भर जाए 

ये रात  छटे और नई सुबह रौशन हो जाए 

इस ख्वाहिश में भी खुदगर्ज़ी की इंतहा देखो 

जैसे मरहम का असर भी मेरे कहने से हो जाए


ये दर्द तुम्हारा रिस सा रहा है अभी 

गुज़रे कल का ज़ख्म है, फिर भी हरा है अभी 

वक़्त का मरहम चढ़ा तो है, लेकिन क्या करें 

ज़ख्म देने वाला सबसे अपना था कभी 


अपना अपना करते करते, अपनों को ताक पर रख दिया 

रिश्तों में आई दरारों को और भी गहरा कर दिया 

खुद हुआ शर्मसार, अपने सगे हुए शर्मिंदा 

अब खोजता हूँ मायने हर वक़्त, जिनसे रहूँ मैं ज़िंदा 


आजकल अक्सर खुद से ही हार जाता हूँ 

चाह कर भी उसकी आँखों में मंज़ूरी नहीं पाता हूँ 

उसे अपना बनाकर प्यार करने में डर  लगता है 

पहले ही बहुत हार चुका, अब और नहीं हारना चाहता हूँ 


क्या कसूर था मेरा पूछती हैं उसकी निगाहें 

जबकि उसने अपनाया मेरे ऐब को खोले अपनी बाहें 

उसके सीधे पैने सवालों का जवाब नहीं मेरे पास 

बेआबरू खड़ा हूँ ज़िन्दगी के दोराहे पे बिना लिबाज़ 


मलाल है ऐसा कि पछतावे में भी पछतावा है 

क्या शर्म में हर पल जलने की कोई दवा है 

ख्यालों में कुरेदता रहता हूँ अपना लिखा 

मिटता कहाँ है जो उसकी आँखों को दिखा 


खुद पे यक़ीं  नहीं और दिलाना है उसे भरोसा

बदल के फिर न बदल जाऊँ कुछ पहले जैसा 

मेरे लफ़्ज़ों की कीमत बाज़ार में बहुत सस्ती है 

कह कर करने में नहीं कर के कहने में ही मेरी हस्ती है 


प्यार के अलफ़ाज़ मेरी ज़बाँ पर कांपते हैं रहते 

तुम मेरी हो जाने हम किस मुँह से कहते 

बदले हालातों, बदले जज़्बातों का मौसम छाया है 

तुम पर अपना हक़ जता सकूँ ये मौका भी मैंने गवांया है  


फिर भी तुम्हें बाहों में पकड़ के गले लगाना चाहता हूँ 

तुम मेरा प्यार हो अभी भी ये जताना चाहता हूँ 

गुज़रे वक़्त का तो पता नहीं लेकिन  

आने वाला कल को संवारना चाहता हूँ


फिर सब ऐसा हो, बीते हुए हसीन दिनों के जैसा हो

शायद ये एक छलावा ही तो है 

खुद को समझाने का, मन को बहलाने का 

ये मेरा भुलावा ही तो है

 

ज़िंदगी की रफ़्तार पे सवार हम बहुत दूर निकल आये हैं 

कुछ दूर साथ थे पर अब बीच में दोराहे हैं 

अगर तुम साथ दो तो मैं तुम्हारे संग चलूँगा 

बेहतर होगा तुम दो कदम आगे और मैं तुम्हारे पीछे रहूँगा 

 



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